Tuesday, April 29, 2008

स्टेम सेल बैंकिंग: जैविक बीमा (भाग 1)


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी



आज से 3000 ईसा पूर्व बीमा की नींव रखते वक्त चीन के व्यापारियों ने सोचा भी नहीं होगा कि भौतिक वस्तुओं का बीमा करवाते-करवाते हम एक दिन जैविक वस्तुओं का बीमा भी करवाने लग जाएँगे. लेकिन मनुष्य बड़ा सयाना प्राणी है... ज़मीन-जायदाद, स्वास्थ्य और वाहनों के बाद उसने अब अपनी कोशिकाओं का बीमा करवाने का तरीका भी ढूँढ निकाला है, ताकि किसी दुर्घटना या बीमारी की स्थिति में बैंक में रखी ख़ुद की कोशिकाओं से वह अपना और अपने परिवार का जीवन बचा सके...जी हाँ ये चमत्कार नहीं है, ये एक लाइफ़ टाइम अपॉर्चुनिटी है, जिसे "स्टेम सेल बैंकिंग" कहते हैं.

स्टेम सेल बैंकिंग के बारे में जानने से पहले ये जान लेना ज़रूरी है कि स्टेम सेल क्या है. स्टेम सेल्स दरअसल बहुकोशिकीय जीवों में पाई जाने वाली वे कोशिकाएँ हैं, जिन्हें करने के लिए शरीर ने कोई ख़ास काम नहीं दिया है. एक स्टेम (तना) जिस तरह शाखाएँ, पत्तियाँ, प्रतान, कलियाँ, फल, फूल और बीज बना सकता है, उसी तरह स्टेम सेल्स में भी शरीर की सारी कोशिकाओं की भूमिका निभाने की क्षमता होती है. ये कोशिकाएँ शरीर का कच्चा माल हैं, जिन्हें 300 प्रकार की कोशिकाओं में बदला जा सकता है. स्टेम सेल्स अविभेदित होती हैं, कोई काम न होने पर वर्षों तक अंगों में सुप्तावस्था में पड़ी रहती हैं और जरूरत पड़ने पर विभाजन द्वारा अनगिनत कोशिकाएँ बना सकती हैं. जैविक सिग्नल इनके लिए उत्प्रेरणा का कार्य करते हैं, जिससे सुप्त जीन सक्रिय हो जाते हैं, कोशिका नए प्रोटीन बनाती है और विभाजन व विभेदन (शरीर के विशिष्ट अंगों की कोशिकाएँ बनना) शुरू हो जाता है. एक बार विभेदन हो जाने के पश्चात इनका विभाजन रूक जाता है. इस तरह एक निष्क्रिय कोशिका अलग-अलग तरह के सक्रिय ऊतकों में बदल जाती है.

अब ये देखते हैं कि हमारे शरीर में स्टेम सेल्स बनती कैसे हैं. आप जानते होंगे कि अंडाणु और शुक्राणु के संयोग से भ्रूण बनता है. एक कोशिका के रूप में बना यह भ्रूण तेजी-से कई कोशिकाओं (ब्लास्टोमीयर) में विभाजित हो जाता है. जब इन कोशिकाओं की संख्या 20 से 30 तक हो जाती है तो शहतूत या अंगूर के गुच्छे के आकार की एक संरचना प्राप्त होती है, जिसे मोरुला कहते हैं. यह मोरुला आगे और विभाजन करके एक गेंद के समान आकृति वाला ब्लास्टोसिस्ट (50-150 कोशिका) बनाता है. इस ब्लास्टोसिस्ट में इनर सेल मास नाम का कोशिकाओं का एक समूह होता है, जो भविष्य में भ्रूणीय स्टेम सेल्स बनाता है.

स्टेम सेल्स के मुख्य स्रोत हैं- गर्भ नाल से प्राप्त रक्त, एम्नियोटिक तरल, कृत्रिम निषेचन से प्राप्त भ्रूण, वयस्कों का मस्तिष्क, अस्थि मज्जा (बोन मैरो), किडनी, परिधीय रक्त, रक्त वाहिकाएँ, कंकाल पेशियाँ और लीवर. पहले कृत्रिम रूप से बनाए गए भ्रूण या ब्लास्टोसिस्ट की कोशिकाओं को निकालकर, उनका संवर्धन करके स्टेम सेल बनाई जाती थी तथा उनका उपयोग अनुसंधान और उपचार में किया जाता था. यह एक अनैतिक तकनीक थी, जिसमें भ्रूण को मारा जाता था या मरे हुए भ्रूण का उपयोग किया जाता था. पर अब वैज्ञानिकों ने इसका भी विकल्प खोज लिया है. उन्होंने एक ऐसे स्रोत की खोज कर ली है, जिसे सामान्यत: शिशु के जन्म के बाद फेंक दिया जाता है. स्टेम सेल के इस समृद्ध ख़जाने का नाम है- गर्भ नाल और प्लेसेंटा पर बचा रक्त. स्टेम सेल बैंकिंग में इसी स्रोत को भविष्य के उपयोग के लिए सहेज लिया जाता है. वेस्ट का इससे बेस्ट उपयोग और क्या हो सकता है?

भ्रूणीय स्टेम सेल के 5,000 प्रोटीन पहचाने जा चुके हैं और इससे 75 से भी अधिक बीमारियों का इलाज संभव है. बैंकिंग की प्रक्रिया में कोशिकाओं को क्रायोजेनिक तरीके से (-196°c तापमान पर) कई वर्षों के लिए संरक्षित करके रखा जा सकता है. प्रयोगशाला में कोशिका को उपयुक्त पोषक पदार्थ और वृद्धि कारकों की उपस्थिति में संवर्धित किया जाता है, जिससे विशिष्ट जीन सक्रिय होते हैं, कोशिका विभाजन बढ़ता है और विशेष ऊतकों का निर्माण होता है. इन ऊतकों से अंग और अंग से अंग तंत्र बनते हैं. स्टेम सेल्स का उपयोग कर बनाए गए अंगों की आनुवांशिक संरचना में रत्ती-भर भी विविधता नहीं होती.

आखिर ऐसा क्या जादू है इन कोशिकाओं में जो इन्हें इतना महत्व दिया जा रहा है? जवाब है- इनकी स्वत: नवीकरण की अद्भुत क्षमता. कोशिकाओं का यही गुण इन्हें रीजनरेटिव मेडीसिन्स और ऊतक व अंगों के ट्रांसप्लांटेशन का बेहतरीन विकल्प बनाता है. स्टेम सेल्स, कोशिकाओं और ऊतकों का अक्षय भंडार है. इन कोशिकाओं से आप पेंक्रियाज़, लीवर, माँसपेशी, हड्डी, रक्त, त्वचा या तंत्रिका तंत्र, जो मर्जी हो, वो बना सकते हैं. स्टेम सेल्स के उपयोग का सबसे बड़ा फ़ायदा यह है कि ये कोशिकाएँ हमारे अपने शरीर की होती है तथा हमारा प्रतिरक्षा तंत्र इन्हें बाहरी समझकर अस्वीकार नहीं करता. यह तकनीक उन स्थितियों में भी बहुत कारगर है, जहाँ अंग प्रत्यारोपण संभव नहीं होता, जैसे लीवर या गॉल ब्लैडर के कैंसर (ये अंग शरीर में जोड़े में नहीं होते अत: कैंसर की अंतिम अवस्था में पता चलने पर इन्हें काटकर अलग नहीं किया जा सकता) या अंतिम अवस्था में ब्लड कैंसर का पता चलने पर. रक्त कोशिका बनाने वाली (हीमोपोएटिक) स्टेम सेल का उपयोग आज-कल ब्लड कैंसर और एनीमिया के उपचार में किया जा रहा है. अल्ज़ाइमर, एड्स, स्ट्रोक, बर्न (जलना), ह्रदय की बीमारियाँ, गठिया और ब्लॉकेज का इलाज बहुत आसान हो गया है. ल्यूकेमिया, हिस्टियोसाइटिक और फ़ेगोसाइटिक डिसऑर्डर, प्रतिरक्षा तंत्र, प्लेटलेट्स, आरबीसी, प्लाज़्मा सेल और चयापचय की असामान्यताएँ, पीठ व कमर के दर्द, बुढ़ापे के कारण होने दृष्टि-दोषों, कैंसर, पार्किंसन, डायबीटिज़, स्पाइनल कॉर्ड को होने वाली क्षतियों और कई प्रकार के आनुवांशिक रोगों और ट्यूमर को हमेशा के लिए ठीक किया जा सकता है.

(जारी है...)

1 comment:

najahvallance said...

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